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रहस्यमाई चश्मा भाग - 26






 या शुभा ही सार्वजनिक करेगी और हाँ पण्डित तीरथ राज जी अक्सर कहावतों में हास परिहाश मैथिल ब्राह्मणों की तुलना नाग लोग के राजा के रूप में कि जाति है वह नाग जो सनातन आस्था अस्तित्व के देव विष्णु का छत्र है जो नवजात कृष्ण कि जीवन छतरी है जो अवनि को अपने सर पर धारण करता शेष नाग लक्ष्मण बलराम है,,,,


 तो कलयुग नाग नागिन के अखंड प्रेम का प्रसंग प्रमाण है हम मैथिल अपने द्वारा दिये वचन स्वंय के द्वारा लिए संकल्प केवल एक जन्म नही युगों युगों तक चाहे जिस भी योनि में रहे निर्वहन करते है ऐसे ही नही मैथिल एव मिथिलांचल भारत के लिए अभिमान गौरव एव विशिष्ट पहचान का सिरमौर्य मुकुट भाल है मैथिल तो सृष्टि प्राणि एव संस्कृति संस्कारों की गाथा है परंपरा पुरुषार्थ एव सच्छाई धर्म मर्म कर्म का कुल कालखंड है जो निरंतर रहेगा अविरल अविचल तीरथ राज जी मैं अपने कुल पुरुखों के अभिमान उनके द्वारा स्थापित मूल्यों मर्यादाओं का ह्रास या हनन नही होने दूंगा आपको दिया वचन निभाउंगा।।


 एका एक पुजारी तीरथ राज बोले चौधरी साहब इस गांव में श्यामा चरण झा जी ऐसे व्यक्ति है जो सबसे अधिक पढ़े लिखे गम्भीर एव मर्यादित तथा विश्वसनीय एव गम्भीर ऐसा प्रतीत होता है मैथिल परम्पराओ के मैथिल परम प्रकाश है जितने भी हाकिम हुक्काम आते है उन्ही के दुआरे जाते हैं जबको उचित सम्मान एव सहयोग श्यामाचरण जी के दरबार से मिलता है साथ ही साथ मिथिला के स्वादिष्ट व्यजनों का भी स्वाद चलिए आपको उनसे मिलाते है मंगलम चौधरी ने मन्नू माईया मेहुल और सुयश को आवाज देकर बुलाया आए अपनी कार को मंदिर प्रांगण में पार्क करने का आदेश देते हुए बोले चलिये हम सभी तीरथ राज जी के साथ चल रहे है मेहुल ने कार पार्क किया और सभी पुजारी तीरथ राज के साथ चल दिये कुछ देर में पण्डित श्यामा चरण झा के दरवाजे पहुंच गए श्यामाचरण जी ने मंगलम चौधरी का बड़ी गर्म जोशी से स्वागत किया वह तो तभी से इंतजार कर रहे थे जबसे पता चला की गांव के मंदिर पर कोई महाशय आये है ।


श्यामाचरण जी ने मंगलम चौधरी का परिचय जानने के बाद मेहुल मुन्ना मियां का परिचय जाना सुयश से तो वह परिचित थे उन्होंने जब सुयश का दाहिना हाथ कटा देखा तो बड़े आश्चर्य से पूंछा सुयश तुम तो जब नौकरी के लिए गए थे तब तो तुम्हारे दोनों हाथ थे दाहिना हाथ कट कैसे क्या क्या दुर्घटना हो गयी मंगलम चौधरी ने श्यामाचरण जी से कहा महोदय तनिक सांस तो ले लिजिये एक साथ इतने प्रश्नो का उत्तर सुयश को देने का अवसर तो दीजिये,,,,,,,


 श्यामाचरण जी मंगलम चौधरी के मुक सकेतो को समझ लिया और बोले विराजिए आदरणीय पुनः मंगलम चौधरी को ऐसा लगा जैसे कोई कह रहा हो हृदय मन मंदिर में विराजो विराज आख़िर यदि परंपरागत विवाह कि औपचारिकता पूर्ण हुई होती तो यह गांव उनकी ससुराल है और शुभा का पीहर और सुयश का ममाना मंगलम चौधरी सुंदर अतीत कि कल्पना जो अब मात्र कल्पना ही थी के वर्तमान में खो गए तभी श्यामचरण जी ने कहा महोदय कहा खो गए विराजिये आसन अपकी प्रतीक्षा कर रहा है


मन्नू मिया यहां भी अपनी चाकरी से बाज नही आया और श्याचरणम जी के साफ सुथरे विछावन चादर पर भी अपनी अगौछि मारना नही भुला मंगलम चौधरी सुयश अगल बगल चारपायो और विस्तर पर बैठे तो मेहुल और मुन्ना मियां कुर्सी पर श्यामाचरण जी के आतिथ्य से मंगलम चौधरी सुयश मन्नू मियां मेहुल कुमार आलल्लादित एव अभिमानित थे,,,,,,


 श्यामाचरण जी ने अपने रसोईयो को टेशू को आदेश दिया भोजन बनाने के लिये टेशू भोजन बनाने चला गया तब मंगलम चौधरी बोले श्यामाचरण जी मैं कही भोजन नही करता लेकिन आपके आतिथ्य का सम्मान करने में मुझे अभिमान कि अनुभूति हो रही है आपमे एव आपके आतिथ्य में अवश्य विशेष बात है लेकिन मेरी शर्त नही निवेदन है कि जब तक आपके रसोई में भोजन तैयार हो रहा है तब तक सुयश की पलान छप्पर झोपड़ी इस लायक हो जाय कि हम सभी वही बैठकर आपके स्नेहवत प्रसाद का आनंद उठा सके,,,,,,,

 श्यामचरण जी बोले बस इसमें क्या खास बात है जब तक भोजन तैयार होगा तब तक सुयश का छप्पर इस लायक हो जाएगा कि वहाँ आप सब लोग भोजन ग्रहण कर सके भोजन तैयार होने के बाद भोजन वही पहुंच जाएगा और भी कोई इच्छा हो तो अवश्य बताये श्यामाचरण झा के गांव में कोई भी अतिथि ऐसा नही आया जिसकी कोई भी इच्छा यहां से सम्बंधित अधूरी रह गयी हो ।


अब आप मेरे गांव अपने पदार्पण का उद्देश्य बताये आप तो मिथिलांचल के अभिमान मैथिल स्वाभिमान जिसके आने से मेरा यह गांव धन्य हुआ और हम सभी गौरवान्वित तभी टेशू के साथ अंदर भोजन आदि के विषय मे उचित निर्देश देने रसोई में गए पुजारी तीरथ राज बाहर आये और अपने आसन पर विराजते हुये बोले आदरणीय मंगलम चौधरी सुयश को लेकर इसकी मॉ शुभा को खोजने आये है इतना सुनते ही जैसे श्यामाचरण जी का खून खौल गया हो वे लगभग चीखते हुये अंदाज़ में बोले चौधरी साहब आप किसी खोजने आये है,,,,,,


 सुयश कि मॉ शुभा को जिसने विंव्याहता होते हुए भी सुयश को जन्म दिया पता नही किसकी संतान है यह बेचारा गांव वाले इसे अनाथ कहते है और शुभा को कुलटा कुलक्षिणी यह मेरे लिए मेरे गांव के लिए मैथिल समाज के लिए कलंक है अभिशाप है कभी कभी तो जवार गांव वाले माँ बेटे को जासूस समझते है तरह तरह कि बाते चलती है वो तो भला हो पुजारी तीरथ राज जी का जिन्होंने शुभा को संरक्षण दिया और सुयश को जन्म जीवन लेकिन चौधरी साहब आप इतने बड़े आदमी इस गांव में गुमनामी का जीवन जीने वाली बदनसीब जमाने के तानों और नज़रों से तार तार शुभा को क्यो खोजने आये है सुयश कैसे नौकरी के लिए गया था और आप तक पहुंच गया मंगलम चौधरी ने बताया कि वह अपनी चीनी मिलों के निरीक्षण हेतु बिभिन्नं जनपदों एव जगहों का भ्रमण करने के दौरान रेलगाड़ी से दरभंगा लौट रहा था,,,,,,,
 रेलगाली कुछ देर के लिए झंझार पुर रेलवे स्टेशन पर रुकी थी सौभगय कहे या दुर्भाग्य उसी रेलगाड़ी से सुयश को भी जाना था मैं प्लेटफार्म कि तरफ़ किनारे रेलगाड़ी में बैठा था मैंने रेलगाड़ी कि खिड़की से बाहर कुछ देखने की कोशिश कर रहा था इतने में ही मेरा चश्मा रेलवे लाइन पर गिर पड़ा बिना चश्मे के मुझे कुछ भी साफ दिखाई नही पड़ता मैं परेशान था लेकिन कोई विकल्प नही सिवा इसके अतिरिक्त कि मैं अपने गत्तव्य तक पहुँचूँ और मुझे रेलगाड़ी से मुझे कोई हाथ पकड़ कर उतारे लेकिन यात्रा के दौरान कोई बात होने पर मुझे बहुत परेशानी होती मैं चिंतित एव परेशान मुझे तो यह भी दिखाई नही दे रहा था कि मेरा चश्मा रेललाइन पर किस तरफ गिरा है मुझे परेशान देखकर यही नवजवान आपके गांव के बदनसीब कुलक्षणी कुलटा का बेटा सुयश मेरे पास आया और परेशानी का कारण पूछा मैंने जब इसे बताया कि चश्मे के बिना मुझे कुछ भी नही दिखता और मुझे गंतव्य तक पहुचने में ही कठिन चुनौतियों का सामना संभावित है तो सुयश तुरंत प्लेटफॉर्म पर झुक कर अपने दाहिने हाथ से रेलवे लाइन पर गिरे मेरे चश्मे को निकालने की कोशिश करने लगा,,,,,,




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5 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:04 AM

V nice

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RISHITA

02-Sep-2023 09:21 AM

Very nice

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madhura

01-Sep-2023 09:52 AM

Very nice

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